भारत ने पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के बावजूद सिंधु जल संधि में किसी भी बदलाव से इनकार किया है। विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, भारत अपनी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं का पालन करता रहेगा।
भारत-पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के बीच भारत का बड़ा फैसला
नई दिल्ली (10 मई 2025): भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह सिंधु जल संधि में किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं करेगा। सरकार से जुड़े उच्च सूत्रों के अनुसार, भारत अपनी अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियों के प्रति प्रतिबद्ध है और संधि के प्रावधानों का पालन करता रहेगा। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच राजनयिक और सैन्य तनाव लगातार बढ़ते जा रहे हैं।
सिंधु जल संधि क्या है?
- 1960 में हस्ताक्षरित: सिंधु जल संधि भारत और पाकिस्तान के बीच जल-वितरण समझौता है, जिसे विश्व बैंक की मध्यस्थता में बनाया गया था।
- नदी विभाजन: इस संधि के तहत भारत को रावी, ब्यास और सतलज नदियों पर अधिकार मिला, जबकि पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चेनाब नदियों पर।
- शांति का प्रतीक: छह दशकों से अधिक समय तक कई संघर्षों के बावजूद इस संधि का सम्मान दोनों देशों ने किया है।
भारत के फैसले का महत्व
- कोई बदलाव नहीं: भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह संधि के किसी भी प्रावधान में बदलाव नहीं करेगा।
- राजनयिक संदेश: यह निर्णय पाकिस्तान को यह संकेत देता है कि भारत संधियों और अंतरराष्ट्रीय समझौतों का सम्मान करता है।
- रणनीतिक स्थिरता: यह फैसला क्षेत्र में तनाव को और अधिक बढ़ने से रोकने में सहायक होगा।
हालिया तनाव और अटकलें
- सैन्य टकराव: हाल की सीमा-पार घटनाओं के कारण भारत-पाकिस्तान संबंधों में तनाव बढ़ गया है।
- संधि निलंबन की अटकलें: कुछ रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया था कि भारत संधि को निलंबित कर सकता है, लेकिन अब सूत्रों ने इस बात का खंडन किया है।
- वैश्विक चिंता: इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की निगाहें भी टिकी हैं, खासकर क्षेत्रीय स्थिरता को लेकर।
MEA और डिप्लोमैटिक चैनल्स का रुख
- विदेश मंत्रालय का बयान: विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, भारत संधि की सभी शर्तों को निभाता रहेगा।
- वार्ता जारी: दोनों देशों के जल आयुक्तों के बीच संचार अभी भी जारी है।
- एकतरफा कदम नहीं: भारत ने यह भी स्पष्ट किया है कि वह कोई ऐसा कदम नहीं उठाएगा जिससे संधि का उल्लंघन हो।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
- चिंता जाहिर की: पाकिस्तान ने भारत द्वारा संधि में संभावित बदलाव को लेकर चिंता जताई है।
- अंतरराष्ट्रीय संपर्क: पाकिस्तान ने इस मामले में अंतरराष्ट्रीय समर्थन भी जुटाने की कोशिश की है।
- कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं: अब तक पाकिस्तान सरकार ने इस मुद्दे पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।
क्यों अहम है सिंधु जल संधि?
- क्षेत्रीय स्थिरता: यह संधि भारत-पाकिस्तान के बीच संबंधों को संतुलित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- भारत की छवि: भारत का इस संधि को बनाए रखना उसकी वैश्विक प्रतिष्ठा को और मजबूत करता है।
- पर्यावरणीय प्रभाव: यदि यह संधि टूटती है तो दोनों देशों को जल संकट और पर्यावरणीय समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
आगे क्या होगा?
- संधि का पालन जारी रहेगा: भारत अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करता रहेगा।
- राजनयिक संवाद जारी रहेगा: MEA पाकिस्तान के जल आयोग से नियमित संवाद बनाए रखेगा।
- विश्व स्तर पर निगरानी: विश्व बैंक सहित अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं इस स्थिति की निगरानी करती रहेंगी।
अस्वीकरण (Disclaimer):
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